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आपने शेयरों के डेरिवेटिव सौदों के बारे में जरूर सुना होगा. इसी तरह कई बार आपका सामना फ्यूचर्स, ऑप्शंस और ऑप्शन जैसे शब्दों से हुआ होगा. क्या आप इनका मतलब जानते हैं? हम आपको इस बारे में बता रहे हैं.

प्रश्न: इक्विटी बाजार में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) क्या है?

उत्तर: इक्विटी बाजार में दो सेगमेंट (हिस्से) होते हैं. इसमें एक है कैश यानी नकद सेगमेंट और दूसरा है डेरिवेटिव सेगमेंट. इसे फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस भी कहा जाता है.

प्रश्न: क्या एफएंडओ सेगमेंट के डेरिवेटिव की वैल्यू कैश सेगमेंट से निकाली जाती है?

उत्तर: जैसा नाम से जाहिर है डेरिवेटिव सेगमेंट की वैल्यू अंडरलायर के तहत निकाली जाती है. मौजूदा समय में निफ्टी 50 इंडेक्स और सेंसेक्स, बैंक निफ्टी और कैश सेगमेंट के चुनिंदा शेयर अंडरलायर की भूमिका अदा करते हैं.

प्रश्न: इसका मतलब है कि निफ्टी के पास निफ्टी फ्यूचर्स सौदे हैं और बैंक निफ्टी के पास भी इसी तरह के एफएंडओ सौदे होंगे?

उत्तर: हां. सिर्फ इंडेक्स के फ्यूचर्स सौदे ही नहीं बल्कि ऑप्शंस सौदे भी मौजूद हैं. चुनिंदा शेयरों के मामले में फ्चूचर्स और ऑप्शन दोनों ही सौदे सूचीबद्ध होते हैं. मगर जरूरी नहीं कि हर शेयर के ऑप्शन सौदों का कारोबार बड़ी संख्या में होता हो. हालांकि, ज्यादा सक्रियता एकल शेयरों के फ्यूचर्स में नजर आती है.

प्रश्न: फ्यूचर्स एंड ऑप्शन सौदे किसे कहते हैं?

उत्तर: फ्यूचर सौदों के तहत एक ग्राहक किसी शेयर को मौजूदा कीमत पर भविष्य की तिथि में खरीद या बेच सकता है. इसी तरह, ऑप्शन सौदे के तहत ग्राहक को भविष्य के लिए निर्धारित किसी कीमत पर किसी शेयर को खरीदने या बेचने का अधिकार मिलता है. हालांकि, जरूर नहीं कि वह उस तिथि को शेयर को खरीदे या बेचे. यदि तय तिथि से पहले उस सौदे का निपटारा कर लिया जाता है, तो उसे ‘स्क्वेयर ऑफ’ कहा जाता है. यदि ग्राहक उस सौदे को आगे लेकर जाना चाहता है, तो उसे ‘रोलओवर’ कहते हैं. हालांकि, इसके लिए कुछ शुल्क भी चुकाना होता है.

प्रश्न: किन सूचकांको पर फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सौदे उपलब्ध हैं?

उत्तर: बीएसई और एनएसई कारोबार के लिए शेयरों और कमोडिटी के डेरिवेटिव सौदों की सुविधा प्रदान करते हैं. इन दोनों सूचकांकों पर कैश सौदे भी होते हैं. इसके अलावा एमीसएक्स, एनसीडीईएक्स और आईसीईएक्स भी कमोडिटी सौदों के कारोबार की अनुमति देते हैं.

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